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एक नया सफर शुरू हो गया वही पुराना सफर फिर से एक बार पर इस बार तेज़ है चुनौतियों की धार यूं तो इस सफर में  हमसफर हैं हज़ार पर फिर भी है सारे हालात  से लाचार ना जाने कब हो जाए कोविड का प्रहार  और हो जाएगी सबकी मेहनत बेकार कई लोग ढूंढ रहे नौकरियों के इश्तहार तो कई रो रहे देख  तस्वीरों पर हार एक नई आस लेकर अब चले है उस पार शायद  रक्खा हो मालिक ने कोई नया उपहार ना जाने हो जाए कोई ऐसा चमत्कार की वापस से सब ठीक हो जाए यार फिर तो मनाएंगे हर दिन एक त्योहार और  होगी हर दिल में खुशियों की बौछार
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 कलम ऐसी है कलम की शक्ति आधीन है इसके हर व्यक्ति चाहे हो शिक्षा या हो भक्ति सबको है ये कायम रखती हर विषय का है स्वाद ये चखती चाहे हो विज्ञान या हिंदी की विभक्ति सबके जीवन को इसने क्षण भर में बदल में डला किसी को वैज्ञानिक , किसी को कलाकार तो किसी को शायर बना डाला खोला इसने हर प्रश्न का ताला कइयों को पहवाई  फूलो की माला किसी ने इससे लिखी निर्मला तो किसी ने लिखी मधुशाला जिनके कारण  हुआ साहित्य जगत में इन लिखको का बोल बाला  जिसने किआ अपमान इसका उसपर लगा अज्ञानता का ताला                                                                          BY- Yash Gupta

हमारे सपने

हमारे सपने  ना जाने ये स्वपन क्या-क्या दिखाते हैं।  कभी गहरे समुद्र में तो कभी चाँद पर पहुंचाते हैं।।  जाने-अनजाने ही सही कई इच्छाओं  को पूरा कर जाते हैं।  कुछ देर के लिए ही सही पर  परम सुख की अनुभूति कराते   हैं।।  कुछ स्वपन  हमें डराते भी हैं।  पर आँख खुलने पर राहत  का एहसास कराते हैं।। कभी-कभी स्वपन में नामुमकिन से काम भी मुमकिन हो जाते हैं।  और कभी-कभी  ये खुद को हकीकत में तब्दील करने की प्रेरणा दे जाते हैं।।  कुछ स्वपन बंद तो कुछ खुली आँखों से देखे जाते हैं। पर इन स्वपनो का हम खुद पर गहरा प्रभाव पाते हैं।। स्वपन कैसे भी हों आँख खुलने पर टूट ही जाते हैं।  और यदि सच हो जाएं तो वो स्वपन नहीं रह जाते।।

कुछ अनकहे राज़

The personal diary   कोई मुझसे पूछ बैठा क्या मिलेगा किसी की  निजी किताब में ? मैंने भी जवाब देते हुए कहा ताव में, कुछ लम्हे होंगे उतार-चड़ाव के, कुछ किस्से होंगे उसके जीवन के हर पड़ाव के, कहीं फूल खिले होंगे इश्क़ नामक गुलाब के, तो कहीं होंगे ज़िक्र काटों द्वारा दिए ज़ख्मों  के, कहीं होंगे प्रश्न बिना जवाब के, तो कहीं लिखे मिलेंगे अलफ़ाज़ उनके ख्वाब के, कहीं वर्णन होंगे लोगो के बदलते स्वभाव के, तो कहीं होंगे किस्से उनपर  पड़े प्रभाव के, कहीं मिलेंगे नशे शराब के, तो कहीं मिलेंगे शौक नवाब के, कुछ मिले या ना मिले ! कुछ मिले या ना मिले ! पर कुछ अनकहे राज तो  मिलेंगे ही  जनाब के।।                                                                                                   by - ...

आखिर क्या होती है माँ

  आखिर क्या होती है माँ  जब दूर आ गए पता चला तब, आखिर क्या होती है माँ , इस दुनिया में हमें वो  लाती, सारा दर्द यूँ ही सह जाती , हर रात जाग जो हमें सुलाती,  आँखों का तारा हमें बुलाती , अच्छा भोजन जो हमें खिलाती,  खुद चाहे भूखी  रह जाती  , ऊँगली पकड़ चलना वो सिखाती,  गिरते जो हम तो हमें उठती, गलती करने पर डाँट लगाती,  हम  रूठें  तो हमें मानती , काम छोड़ जो हमे पढ़ाती,  न पड़ने पर मार लगाती , कभी -कभी  बाज़ार ले जाती,  जो चीज़ भी माँगो  तुम्हे दिलाती , बदले में  वो कुछ न पाती , हमें हँसते देख वो खुश हो जाती।।

लोग दूसरों को देख क्यों चलते है

लोग दूसरों  को देख क्यों चलते है  क्यों दूसरों को देख लोग अपनी राह बदलते हैं,  क्यों वे सबको देख उनके पीछे  चलते हैं।  क्यों घर से वे लक्ष्यहीन निकलते हैं , क्यों लोगों को देख उनके मन मचलते।  मोम होते हुए भी माटी के समान  आग में जलते हैं,  इसलिए कुछ बनने की जगह हर पल पिघलते है।  बहुत पछताते  हैं जब चलते ही फिसलते है , क्यों एक बार गिरने के बाद भी नहीं संभलते  है।  क्या इन्हे नहीं कोई समझाता जब ये ऐसा करते हैं , क्यों कोई नहीं कहता इनसे कुछ क्या सब इनसे डरते हैं।  ये भी हो सकता है की ये बात कभी ना सुनते हैं , और अनसुना कर सब बस आँख बंद कर बढ़ते हैं ।                                                                                                   by ...

लोगो के कहे अनुसार क्यों चलना

    लोगों  को  खुश क्यों करना है ? क्यों आप लोगों  की नज़रों में अच्छा बनना चाहते है'  इस कारण आप अपने शौक पूरे नहीं  कर पाते  है।   क्यों अपने जीवन को अपने लिए ही कठिन बनाते है,   क्यों लोग आशाएँ करके आपके जीवन पर अपना हक जताते  है. क्यों वो आपको उनके  जैसा बनाना चाहते है,   वो जो मानते है आप भी वो मानो क्यों ऐसा वो चाहते है.  क्या  थके नही आप अब तक ये करते- करते , क्यों अपना जीवन जीना भूल गए आगे बढ़ते- बढ़ते,  क्यों रुक गए थे हर्षोल्लास  की सीढ़ियां चढ़ते- चढ़ते , क्या थके नहीं अब तक लोगों की उम्मीदों पर खरा  उतरते- उतरते,  शायद कुछ लोगों को ये एहसास  हो जाए इसे पढ़ते -पढ़ते जो अपने काम करते थे  लोगों  से डरते -डरते   और जी रहे थे हर पल मरते -मरते                                           ...

इंसान की बदलती फितरत

कितनी जल्दी बदलता है इंसान  एक पल में बनाता  प्रेम की नदी ,तो दूजे पल जंग का मैदान , कितनी जल्दी बदलता है इंसान। सामने करता इज़्ज़त ,और पीछे करे अपमान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान। कभी पूजता कृष्ण तो कभी पूजे हनुमान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान। काम के लिए खुद को कहे बच्चा मस्ती के लिए कहे मै  हूँ जवान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान।       कभी कहे ये सब है छलावा  कभी कहे होता भगवान,   कितनी जल्दी बदलता है इंसान। सुबह गाए  ईमान के गीत शाम बने बेईमान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान। एक पल कहे अधिकार है शिक्षा दूजे पल बेचता ज्ञान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान। गिरगिट भी हो जाए ये देख  हैरान,  जी हाँ इतनी जल्दी बदलता है इंसान।                            By- Yash Gupta    

बच्चे माता-पिता की पुस्तक

बच्चे माता-पिता के लिए पुस्तक के सामान होते है।  कुछ इन्हे अपने हाथों  से संजोते है  तो कुछ इन्हे नोटों से सवारते है।  कुछ पन्ने  इस पुस्तक में स्वयं ही लिख जाते है,  और कुछ अपने पन्नो को नशे की आग में भस्म कर जाते है।  जो पुस्तक को नहीं संभाल  पाते है , वो कुछ समय बाद उसको राख  पाते है।   कुछ इसपर स्वर्ण अक्षर लिख जाते है , और जीवन भर उसके तेज से खुद को रौशन  पाते है।  कुछ लोग इस पुस्तक पर प्रतिबन्ध लगते है, तो कुछ इन्हे यूँ  ही खुला छोड़ जाते है।  परन्तु फिर भी कई बार ये पन्ने व्यर्थ हो जाते है,  जब वे पुस्तक के अच्छे मित्र नहीं बन पाते है।  कई बार इस पुस्तक के पन्ने  स्वयं को जलाते है,  परन्तु आग लगाने से पहले अपने पाठक को भूल जाते है।   पुस्तक कैसी भी हो वे उसे सीने से लगते है , उसके जलने के बाद भी उसको भुला नहीं पाते है।  कुछ पुस्तकों से लोग केवल धन कमा पाते है , और कुछ लोग इनसे जीवन भर खुशियाँ  पाते है।...