Skip to main content


एक नया सफर


शुरू हो गया वही पुराना सफर फिर से एक बार

पर इस बार तेज़ है चुनौतियों की धार


यूं तो इस सफर में  हमसफर हैं हज़ार

पर फिर भी है सारे हालात  से लाचार


ना जाने कब हो जाए कोविड का प्रहार 

और हो जाएगी सबकी मेहनत बेकार


कई लोग ढूंढ रहे नौकरियों के इश्तहार

तो कई रो रहे देख  तस्वीरों पर हार


एक नई आस लेकर अब चले है उस पार

शायद  रक्खा हो मालिक ने कोई नया उपहार


ना जाने हो जाए कोई ऐसा चमत्कार

की वापस से सब ठीक हो जाए यार


फिर तो मनाएंगे हर दिन एक त्योहार

और  होगी हर दिल में खुशियों की बौछार

Comments

Popular posts from this blog

आखिर क्या होती है माँ

  आखिर क्या होती है माँ  जब दूर आ गए पता चला तब, आखिर क्या होती है माँ , इस दुनिया में हमें वो  लाती, सारा दर्द यूँ ही सह जाती , हर रात जाग जो हमें सुलाती,  आँखों का तारा हमें बुलाती , अच्छा भोजन जो हमें खिलाती,  खुद चाहे भूखी  रह जाती  , ऊँगली पकड़ चलना वो सिखाती,  गिरते जो हम तो हमें उठती, गलती करने पर डाँट लगाती,  हम  रूठें  तो हमें मानती , काम छोड़ जो हमे पढ़ाती,  न पड़ने पर मार लगाती , कभी -कभी  बाज़ार ले जाती,  जो चीज़ भी माँगो  तुम्हे दिलाती , बदले में  वो कुछ न पाती , हमें हँसते देख वो खुश हो जाती।।

बच्चे माता-पिता की पुस्तक

बच्चे माता-पिता के लिए पुस्तक के सामान होते है।  कुछ इन्हे अपने हाथों  से संजोते है  तो कुछ इन्हे नोटों से सवारते है।  कुछ पन्ने  इस पुस्तक में स्वयं ही लिख जाते है,  और कुछ अपने पन्नो को नशे की आग में भस्म कर जाते है।  जो पुस्तक को नहीं संभाल  पाते है , वो कुछ समय बाद उसको राख  पाते है।   कुछ इसपर स्वर्ण अक्षर लिख जाते है , और जीवन भर उसके तेज से खुद को रौशन  पाते है।  कुछ लोग इस पुस्तक पर प्रतिबन्ध लगते है, तो कुछ इन्हे यूँ  ही खुला छोड़ जाते है।  परन्तु फिर भी कई बार ये पन्ने व्यर्थ हो जाते है,  जब वे पुस्तक के अच्छे मित्र नहीं बन पाते है।  कई बार इस पुस्तक के पन्ने  स्वयं को जलाते है,  परन्तु आग लगाने से पहले अपने पाठक को भूल जाते है।   पुस्तक कैसी भी हो वे उसे सीने से लगते है , उसके जलने के बाद भी उसको भुला नहीं पाते है।  कुछ पुस्तकों से लोग केवल धन कमा पाते है , और कुछ लोग इनसे जीवन भर खुशियाँ  पाते है।...

हमारे सपने

हमारे सपने  ना जाने ये स्वपन क्या-क्या दिखाते हैं।  कभी गहरे समुद्र में तो कभी चाँद पर पहुंचाते हैं।।  जाने-अनजाने ही सही कई इच्छाओं  को पूरा कर जाते हैं।  कुछ देर के लिए ही सही पर  परम सुख की अनुभूति कराते   हैं।।  कुछ स्वपन  हमें डराते भी हैं।  पर आँख खुलने पर राहत  का एहसास कराते हैं।। कभी-कभी स्वपन में नामुमकिन से काम भी मुमकिन हो जाते हैं।  और कभी-कभी  ये खुद को हकीकत में तब्दील करने की प्रेरणा दे जाते हैं।।  कुछ स्वपन बंद तो कुछ खुली आँखों से देखे जाते हैं। पर इन स्वपनो का हम खुद पर गहरा प्रभाव पाते हैं।। स्वपन कैसे भी हों आँख खुलने पर टूट ही जाते हैं।  और यदि सच हो जाएं तो वो स्वपन नहीं रह जाते।।