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इंसान की बदलती फितरत


कितनी जल्दी बदलता है इंसान 


एक पल में बनाता  प्रेम की नदी ,तो दूजे पल जंग का मैदान ,
कितनी जल्दी बदलता है इंसान।

सामने करता इज़्ज़त ,और पीछे करे अपमान, 
कितनी जल्दी बदलता है इंसान।

कभी पूजता कृष्ण तो कभी पूजे हनुमान, 
कितनी जल्दी बदलता है इंसान।

काम के लिए खुद को कहे बच्चा मस्ती के लिए कहे मै  हूँ जवान, 
कितनी जल्दी बदलता है इंसान।      


कभी कहे ये सब है छलावा  कभी कहे होता भगवान,  
कितनी जल्दी बदलता है इंसान।

Image result for changing coloursसुबह गाए  ईमान के गीत शाम बने बेईमान, 
कितनी जल्दी बदलता है इंसान।
एक पल कहे अधिकार है शिक्षा दूजे पल बेचता ज्ञान, 
कितनी जल्दी बदलता है इंसान।

गिरगिट भी हो जाए ये देख  हैरान, 
जी हाँ इतनी जल्दी बदलता है इंसान। 

                         By- Yash Gupta
   

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