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Showing posts from December, 2019

लोगो के कहे अनुसार क्यों चलना

    लोगों  को  खुश क्यों करना है ? क्यों आप लोगों  की नज़रों में अच्छा बनना चाहते है'  इस कारण आप अपने शौक पूरे नहीं  कर पाते  है।   क्यों अपने जीवन को अपने लिए ही कठिन बनाते है,   क्यों लोग आशाएँ करके आपके जीवन पर अपना हक जताते  है. क्यों वो आपको उनके  जैसा बनाना चाहते है,   वो जो मानते है आप भी वो मानो क्यों ऐसा वो चाहते है.  क्या  थके नही आप अब तक ये करते- करते , क्यों अपना जीवन जीना भूल गए आगे बढ़ते- बढ़ते,  क्यों रुक गए थे हर्षोल्लास  की सीढ़ियां चढ़ते- चढ़ते , क्या थके नहीं अब तक लोगों की उम्मीदों पर खरा  उतरते- उतरते,  शायद कुछ लोगों को ये एहसास  हो जाए इसे पढ़ते -पढ़ते जो अपने काम करते थे  लोगों  से डरते -डरते   और जी रहे थे हर पल मरते -मरते                                           ...

इंसान की बदलती फितरत

कितनी जल्दी बदलता है इंसान  एक पल में बनाता  प्रेम की नदी ,तो दूजे पल जंग का मैदान , कितनी जल्दी बदलता है इंसान। सामने करता इज़्ज़त ,और पीछे करे अपमान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान। कभी पूजता कृष्ण तो कभी पूजे हनुमान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान। काम के लिए खुद को कहे बच्चा मस्ती के लिए कहे मै  हूँ जवान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान।       कभी कहे ये सब है छलावा  कभी कहे होता भगवान,   कितनी जल्दी बदलता है इंसान। सुबह गाए  ईमान के गीत शाम बने बेईमान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान। एक पल कहे अधिकार है शिक्षा दूजे पल बेचता ज्ञान,  कितनी जल्दी बदलता है इंसान। गिरगिट भी हो जाए ये देख  हैरान,  जी हाँ इतनी जल्दी बदलता है इंसान।                            By- Yash Gupta    

बच्चे माता-पिता की पुस्तक

बच्चे माता-पिता के लिए पुस्तक के सामान होते है।  कुछ इन्हे अपने हाथों  से संजोते है  तो कुछ इन्हे नोटों से सवारते है।  कुछ पन्ने  इस पुस्तक में स्वयं ही लिख जाते है,  और कुछ अपने पन्नो को नशे की आग में भस्म कर जाते है।  जो पुस्तक को नहीं संभाल  पाते है , वो कुछ समय बाद उसको राख  पाते है।   कुछ इसपर स्वर्ण अक्षर लिख जाते है , और जीवन भर उसके तेज से खुद को रौशन  पाते है।  कुछ लोग इस पुस्तक पर प्रतिबन्ध लगते है, तो कुछ इन्हे यूँ  ही खुला छोड़ जाते है।  परन्तु फिर भी कई बार ये पन्ने व्यर्थ हो जाते है,  जब वे पुस्तक के अच्छे मित्र नहीं बन पाते है।  कई बार इस पुस्तक के पन्ने  स्वयं को जलाते है,  परन्तु आग लगाने से पहले अपने पाठक को भूल जाते है।   पुस्तक कैसी भी हो वे उसे सीने से लगते है , उसके जलने के बाद भी उसको भुला नहीं पाते है।  कुछ पुस्तकों से लोग केवल धन कमा पाते है , और कुछ लोग इनसे जीवन भर खुशियाँ  पाते है।...